यह किसका तस्सवूर है, यह किसका फ़साना है,
जो अश्क है आखों में तस्बीह का दाना है,
जो उन पे गुज़रती है, किसने उसे जन है,
आपनी ही मुसीबत है, आपना ही फ़साना है,
आखो में नमी सी है, चुप चुप से वो बैठे है,
नाजुक सी निगाहों में, नाजुक सा फ़साना है,
ये इश्क नही आसन, इतना तो समज लीजिये,
इक आग का दरिया है, और डूब के जाना है,
या वो थे खफा हमसे, या हम है खफा उनसे,
कल उनका जमाना था, आज अपना जमाना है,
तस्बीह का दाना : Bead
तस्सवूर : Contemplation, Fancy, Fantasy, Idea, Imagine, Imagination, Opinion, Thought, Visualise
अच्छी गजल प्रेषित की है।बधाई।
टिप्पणी द्वारा paramjitbali — अक्टूबर 29, 2007 @ 5:43 अपराह्न |
अच्छी गजल प्रेषित की है।बधाई।
टिप्पणी द्वारा paramjitbali — अक्टूबर 29, 2007 @ 5:43 अपराह्न |
तस्बिः क्या होता है?
टिप्पणी द्वारा आलोक — अक्टूबर 29, 2007 @ 10:31 अपराह्न |