कुछ पल जगजीत सिंह के नाम

अक्टूबर 16, 2006

रात भी, नींद भी, कहानी भी


रात भी, नींद भी, कहानी भी
हाए! क्या चीज़ है जवानी भी

दिल को शोलों से करती है सैलाब
ज़िन्दगी आग भी है, पानी भी

(शोला : fire ball; सैलाब : flood)

हर्फ क्या क्या मुझे नहीं कहती
कुछ सुनूँ मैं तेरी ज़ुबानी भी

(हर्फ : words)

पास रहना किसी का रात की रात
मेहमानी भी, मेज़बानी भी

(मेहमानी : to visit as a guest; मेज़बानी : to host a guest)

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