पतित पवन नाम तीहारो,
मुझको पावन कर दो |
पतझड़ जैसा जीवन मेरा,
उसको सावन कर दो |
चरण पड़ा हूँ विनती सुन लो,
पाप-ताप को हरना!
श्रद्धा तुम पर मेरी प्रभु जी
मान हमारा रखना |
कुलषित तन मन निर्मल होवे ,
ऐसा मुझको वर दो ||
पतित हुए हैं करम हमारे ,
अपना मुझे बना लो |
करे याचना ‘दास नारायण ‘
मुझको तुम अपना लो !
हे ! रघुनन्दन – बनो सहायक
मन में आनंद भर दो ||