उसकी बातें तो फूल हो जैसे,
बाकि बातें बाबुल हो जैसे,
छोटी छोटी सी उसकी वो आंखे,
दो चमेली के फूल हो जैसे,
उसकी हसकर नज़र झुका लेना,
साडी शर्ते कुबूल हो जैसे,
कितनी दिलकश है उसकी ख़ामोशी,
सारी बातें फिजूल हो जैस..
उसकी बातें तो फूल हो जैसे,
बाकि बातें बाबुल हो जैसे,
छोटी छोटी सी उसकी वो आंखे,
दो चमेली के फूल हो जैसे,
उसकी हसकर नज़र झुका लेना,
साडी शर्ते कुबूल हो जैसे,
कितनी दिलकश है उसकी ख़ामोशी,
सारी बातें फिजूल हो जैस..
परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता,
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता,
बड़े लोगो से मिलने में हमेशा फासला रखना,
जहा दरिया समंदर से मिला दरिया नहीं रहता,
तुम्हारा शहर तो बिलकुल नए अंदाज़ वालाहाई,
हमारे शहर में भी अब कोई हमसा नहीं रहता,
मोहब्बत एक खुसबू है हमेशा साथ चलती है,
कोई इंसान तन्हाई में भी तनहा नहीं रहता..
बादल की तरह झूम के लहरा के पियेंगे,
सकी तेरे मएखाने पे हम जा के पियेंगे,
उन मदभरी आखों को भी शर्मा के पियेंगे,
पएमाने को पएमाने से टकरा के पियेंगे,
बादल भी है बादा भी है मीना भी तुम भी,
इतराने का मौसम है अब इतराके पियेंगे,
देखेंगे की आता है किधर से गम-ए-दुनिया,
साकी तुझे हम सामने बैठा के पियेंगे..
अपना अपना रास्ता है कुछ नही,
क्या भला है क्या बुरा है कुछ नही,
जुस्तजू है एक मुसलसल जुस्तजू,
क्या कही कुछ खो गया है कुछ नही,
मोहर मेरे नाम की हर शय पे है,
मेरे घर मे मेरा क्या है कुछ नही,
कहने वाले अपनी अपनी कह गए,
मुझसे पुछ क्या सुना है कुछ नही,
कोई दरवाजे पे है तो क्या हुआ,
आप से कुछ मांगता है कुछ नही,
फिर नज़र से पिला दीजिये,
होश मेरे उड़ा दीजिये,
छोडिये बर्ह्मी की रविश,
अब जरा मुस्कुरा दीजिये,
बात अफसाना बन जायेगी,
इस कदर मत हवा दीजिये,
आए खुलके मिलिये गले,
सब तकलुफ हटा दीजिये,
कब से मुश्ताके दीदार हु,
अब तो जलवा दिखा दीजिये,
तेरा चेहरा है आईने जैसा,
क्यो न देखू है देखने जैसा,
तुम कहो तो मैं पूछ लू तुमसे,
है सवाल एक पूछने जैसा,
दोस्त मिल जायेगे कई लेकिन,
न मिलेगा कोई मेरे जैसा,
तुम अचानक मिले थे जब पहले,
पल नही है वो भूलने जैसा,
काँटों से दामन उल्झाना मेरी आदत है,
दिल मे पराया दर्द बसना मेरी आदत है,
मेरा गला अगर कट जाए तो मुझ पर क्या इल्जाम,
हर कातिल को गले लगना मेरी आदत है,
जिन को दुनिया ने ठुकराया जिन से है सब दूर,
एसे लोगो को अपनाना मेरी आदत है,
सब की बातें सुन लेता हु में चुप चाप मगर,
अपने दिल की करते जन मेरी आदत है,
घर से निकले थे हौसला करके,
लौट आए खुदा खुदा करके,
हमने देखा है तज्रुबा करके,
जिन्दगी तो कभी नही आए,
मौत आए जरा जरा करके,
लोग सुनते रहे दिमाग की बात,
हम चले दिल को रहनुमा करके,
किसने पाया सुकून दुनिया मे,
ज़िन्दगानी का सामना करके,
मुस्कुरा कर मिला करो हमसे,
कुछ कहा और सुना करो हमसे,
बात करने से बात बढती है,
रोज बाते किया करो हमसे,
दुश्मनी से मिलेगा क्या तुमको,
दोस्त बनकर रहा करो हमसे,
देख लेते है सात पर्दो मे,
यु न परदा किया करो हमसे