कुछ पल जगजीत सिंह के नाम

मई 4, 2012

उसकी बातें तो फूल हो जैसे


उसकी बातें तो फूल हो जैसे,
बाकि बातें बाबुल हो जैसे,

छोटी छोटी सी उसकी वो आंखे,
दो चमेली के फूल हो जैसे,

उसकी हसकर नज़र झुका लेना,
साडी शर्ते कुबूल हो जैसे,

कितनी दिलकश है उसकी ख़ामोशी,
सारी बातें फिजूल हो जैस..

परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता


परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता,
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता,

बड़े लोगो से मिलने में हमेशा फासला रखना,
जहा दरिया समंदर से मिला दरिया नहीं रहता,

तुम्हारा शहर तो बिलकुल नए अंदाज़ वालाहाई,
हमारे शहर में भी अब कोई हमसा नहीं रहता,

मोहब्बत एक खुसबू है हमेशा साथ चलती है,
कोई इंसान तन्हाई में भी तनहा नहीं रहता..

बादल की तरह झूम के


बादल की तरह झूम के लहरा के पियेंगे,
सकी तेरे मएखाने पे हम जा के पियेंगे,

उन मदभरी आखों को भी शर्मा के पियेंगे,
पएमाने को पएमाने से टकरा के पियेंगे,

बादल भी है बादा भी है मीना भी तुम भी,
इतराने का मौसम है अब इतराके पियेंगे,

देखेंगे की आता है किधर से गम-ए-दुनिया,
साकी तुझे हम सामने बैठा के पियेंगे..

नवम्बर 7, 2007

क्या भला है क्या बुरा है कुछ नही


अपना अपना रास्ता है कुछ नही,
क्या भला है क्या बुरा है कुछ नही,
जुस्तजू है एक मुसलसल जुस्तजू,
क्या कही कुछ खो गया है कुछ नही,
मोहर मेरे नाम की हर शय पे है,
मेरे घर मे मेरा क्या है कुछ नही,
कहने वाले अपनी अपनी कह गए,
मुझसे पुछ क्या सुना है कुछ नही,
कोई दरवाजे पे है तो क्या हुआ,
आप से कुछ मांगता है कुछ नही,

सितम्बर 19, 2007

फिर नज़र से पिला दीजिये


फिर नज़र से पिला दीजिये,
होश मेरे उड़ा दीजिये,
छोडिये बर्ह्मी की रविश,
अब जरा मुस्कुरा दीजिये,
बात अफसाना बन जायेगी,
इस कदर मत हवा दीजिये,
आए खुलके मिलिये गले,
सब तकलुफ हटा दीजिये,
कब से मुश्ताके दीदार हु,
अब तो जलवा दिखा दीजिये,

तेरा चेहरा है आईने जैसा


तेरा चेहरा है आईने जैसा,
क्यो न देखू है देखने जैसा,

तुम कहो तो मैं पूछ लू तुमसे,
है सवाल एक पूछने जैसा,

दोस्त मिल जायेगे कई लेकिन,
न मिलेगा कोई मेरे जैसा,

तुम अचानक मिले थे जब पहले,
पल नही है वो भूलने जैसा,

काँटों से दामन उल्झाना मेरी आदत है


काँटों से दामन उल्झाना मेरी आदत है,
दिल मे पराया दर्द बसना मेरी आदत है,
मेरा गला अगर कट जाए तो मुझ पर क्या इल्जाम,
हर कातिल को गले लगना मेरी आदत है,
जिन को दुनिया ने ठुकराया जिन से है सब दूर,
एसे लोगो को अपनाना मेरी आदत है,
सब की बातें सुन लेता हु में चुप चाप मगर,
अपने दिल की करते जन मेरी आदत है,

घर से निकले थे हौसला करके


घर से निकले थे हौसला करके,
लौट आए खुदा खुदा करके,
हमने देखा है तज्रुबा करके,
जिन्दगी तो कभी नही आए,
मौत आए जरा जरा करके,
लोग सुनते रहे दिमाग की बात,
हम चले दिल को रहनुमा करके,
किसने पाया सुकून दुनिया मे,
ज़िन्दगानी का सामना करके,

मुस्कुरा कर मिला करो हमसे


मुस्कुरा कर मिला करो हमसे,
कुछ कहा और सुना करो हमसे,

बात करने से बात बढती है,
रोज बाते किया करो हमसे,

दुश्मनी से मिलेगा क्या तुमको,
दोस्त बनकर रहा करो हमसे,

देख लेते है सात पर्दो मे,
यु न परदा किया करो हमसे

WordPress.com पर ब्लॉग.