हम तो यूं अपनी ज़िंदगी से मिले,
अजनबी जैसे अजनबी से मिले,
हर वफ़ा एक जुर्म हो गया,
दोस्त कुछ ऎसी बेरुखी से मिले,
फूल ही फूल हमने मांगे थे,
दाग ही दाग जिंदगी से मिले,
जिस तरह आप हम से मिलते हैं,
आदमी यूं न आदमी से मिले,
हम तो यूं अपनी ज़िंदगी से मिले,
अजनबी जैसे अजनबी से मिले,
हर वफ़ा एक जुर्म हो गया,
दोस्त कुछ ऎसी बेरुखी से मिले,
फूल ही फूल हमने मांगे थे,
दाग ही दाग जिंदगी से मिले,
जिस तरह आप हम से मिलते हैं,
आदमी यूं न आदमी से मिले,
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