कुछ पल जगजीत सिंह के नाम

जनवरी 13, 2007

ये फ़ासले तेरी गलियों के

Filed under: Albums,गज़ल,जगजीत सिहँ,मम्मो,Ghazal,Jagjit Singh,Mammo — Amarjeet Singh @ 11:48 पूर्वाह्न

ये फ़ासले तेरी
गलियों के हमसे तय न हुए -२
हज़ार बार रुके हम
हज़ार बार चले -२

ना जाने कौन सी मट्टी
वतन की मट्टी थी
नज़र में धूल, जिगर
में लिये गुबार चले

हज़ार बार रुके हम
हज़ार बार चले -२

ये कैसी सरहदें उलझी
हुई हैं पैरों में -२
हम अपने घर की तरफ़ उठ
के बार बार चले

हज़ार बार रुके हम
हज़ार बार चले -२

ना रास्ता कहीं ठहरा,
ना मंजिलें ठहरी -२
ये उम्र उडती हुई
गर्द में गुज़ार चले

हज़ार बार रुके हम
हज़ार बार चले -२

ये फ़ासले तेरी
गलियों के हमसे तय न हुए
हज़ार बार रुके हम
हज़ार बार चले

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