कुछ पल जगजीत सिंह के नाम

मई 19, 2007

सुन ली जो खुदा ने वो दुआ तुम तो नहीं हो


सुन ली जो खुदा ने वो दुआ तुम तो नहीं हो ।
दरवाजे पे दस्तक की सदा तुम तो नहीं हो ।
महसूस किया तुम को तो गीली हुई पलकें ,
बदलें हुए मौसम की अदा तुम तो नहीं हो ।
अन्जानी सी राहों में नहीं कोई भी मेरा ,
किस ने मुझे युँ अपना कहा तुम तो नहीं हो ।
दुनिया को बहरहाल गिले शिकवे रहेगे ,
दुनिया की तरह मुझ से खफ़ा तुम तो नहीं हो ।

मुझे तुम से मोहब्बत हो गई हैं


मुझे तुम से मोहब्बत हो गई हैं ।
ये दुनिया खुबसुरत हो गई हैं ।
खुदा से रोज तुम को मांगते है ,
मेरी चाहत इबादत हो गई है ।
वो चेहरा चांद है , आंखे सितारे ,
ज़मी फुलों की ज़न्नत हो गई है ।
बहुत दिन से तुम्हें देखा नहीं है ,
चले भी आओ मुद्दत हो गई है ।

जिस दिन से चला हुँ कभी मुड कर नहीं देखा


जिस दिन से चला हुँ कभी मुड कर नहीं देखा ,
मैंने कोई गुजरा हुआ मन्जर नहीं देखा ।
पत्थर मुझे कहता हैं मेरा चाहने वाला ,
मैं मोम हुँ उसने कभी मुझे छुकर नहीं देखा ।
बेवक्त अगर जाऊगा सब चौंक पडेगे ,
एक उम हुई दिन में कभी घर नहीं देखा ।
ये फुल मुझे कोई विरासत में मिलें हैं ,
तुमने मेरा काटों भरा बिस्तर नही देखा ।

खुश रहे या बहुत उदास रहे


खुश रहे या बहुत उदास रहे ।
जिन्दगी तेरे आस पास रहे ।
आज हम सब के साथ खूब हँसे ,
और फिर देर तक उदास रहे ।
रात के रास्ते भी रोशन हो ,
हाथ में चाँद का गिलास रहे ।
आदमी के लिये जरूरी हैं ,
कोई उम्मीद कोई आस रहे ।

रात आँखों में कटी पलकों पे जूगनू आये


रात आँखों में कटी पलकों पे जूगनू आये ,
हम हवाओ की तरह जा के उसे छू आये ।

बस गई हैं मेरे एहसास में ये कैसी महक ,
कोई खूशबू मैं लगाऊ तेरी खूशबू आये ।

उसने छू कर मुझे पत्थर से फिर इन्सान किया ,
मुद्दतों बाद मेरि आँखों में आँसू आये ।

मेने दिन रात खुदा से ये दुआ मागीं थी ,
कोई आहट ना हो मेरे दर पे , जब तू आये ।

वो नही मिला तो मलाल क्या


वो नही मिला तो मलाल क्या , जो गुजर गया सो गुजर गया ।
उसे याद करके ना दिल दुखा ,जो गुजर गया सो गुजर गया ।

ना गिला किया ना ख़फा हुए , युँ ही रास्ते में जुदा हुए ,
ना तू बेवफा ना मैं बेवफा , जो गुजर गया सो गुजर गया ।

तुझे एतबारों-य़कीन नहीं , नहीं दुनिया इतनी बुरी नहीं ,
ना मलाल कर , मेरे साथ आ, जो गुजर गया सो गुजर गया ।

वो वफाऐं थी ,या ज़फाऐं थी , ये ना सोच किस की खंताऐ थी ,
वो तेरा हैं , उसको गले लगा , जो गुजर गया सो गुजर गया ।

मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती ना मिला


मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती ना मिला ।
अगर गले नही मिलता तो हाथ भी ना मिला ।

घरों में नाम थे नामों के साथ ओहदे थे ,
बहुत तलाश किया कोई आदमी ना मिला ।

तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड आया था ,
फिर उसके बाद मुझे कोई अजबनबी ना मिला ।

बहुत अजीब हैं ये कुरबतों की दुरी भी ,
वो मेरे साथ था और मुझे कभी ना मिला ।

नवम्बर 2, 2006

कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाये


कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाये
तुम्हारे नाम की इक ख़ूबसूरत शाम हो जाये

हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाये
चरागों की तरह आँखें जलें जब शाम हो जाये

अजब हालात थे यूँ दिल का सौदा हो गया आख़िर
मोहब्बत की हवेली जिस तरह नीलाम हो जाये

समंदर के सफ़र में इस तरह आवाज़ दो हमको
हवायें तेज़ हों और कश्तियों में शाम हो जाये

मै ख़ुद भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ
कोई मासूम क्यों मेरे लिये बदनाम हो जाये

मुझे मालूम है उस का ठिकाना फिर कहाँ होगा
परिंदा आसमाँ छूने में जब नाक़ाम हो जाये

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
ना जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये

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