कुछ पल जगजीत सिंह के नाम

दिसम्बर 27, 2006

आते आते मेरा नाम सा रह गया

Filed under: Albums,गज़ल,जगजीत सिहँ,Ghazal,Jagjit Singh,Live with Jagjit Singh — Amarjeet Singh @ 12:59 अपराह्न

आते आते मेरा नाम सा रह गया
उसके होंठों पे कुछ कांपता रह गया

वो मेरे सामने ही गया और मै
रास्ते की तरह देखता रह गया

झूठवाले कहीं से कहीं बढ़ गये
और मै था के सच बोलता रह गया

आँधियों के इरादे तो अच्छे ना थे
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया

अक्टूबर 16, 2006

आपको देख कर देखता रह गया

Filed under: Albums,Jagjit Singh,Live with Jagjit Singh — Amarjeet Singh @ 8:21 अपराह्न

आपको देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया।

उनकी आँखों से कैसे छलकने लगा
मेरे होठों पे जो माजरा रह गया।

ऐसे बिछड़े सभी रात के मोड़ पर
आखिरी हमसफ़र रास्ता रह गया।

सोच कर आओ कू-ए-तमन्ना है ये
जानेमन जो यहाँ रह गया रह गया।


कू = Lane, Street

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