कुछ पल जगजीत सिंह के नाम

मई 17, 2012

क्या खबर थी इस तरह से


क्या खबर थी इस तरह से वो जुदा हो जाएगा,
ख्वाब में भी उसका मिलना ख्वाब सा हो जाएगा,

ज़िन्दगी थी क़ैद हम-में क्या निकालोगे उसे,
मौत जब आ जायेगी तो खुद रिहा हो जाएगा,

दोस्त बनकर उसको चाहा ये कभी सोचा न था,
दोस्ती ही दोस्ती में वो खुदा हो जाएगा,

उसका जलवा होगा क्या जिसका के पर्दा नूर है,
जो भी उसको देख लेगा वो फ़िदा हो जाएगा..

1 टिप्पणी »

  1. kbhi kbhi y zindgi ki scchi hoti h pr hm use samjh nhi pate

    टिप्पणी द्वारा komal thakre — मार्च 5, 2014 @ 12:56 अपराह्न | प्रतिक्रिया


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