कुछ पल जगजीत सिंह के नाम

सितम्बर 19, 2007

काँटों से दामन उल्झाना मेरी आदत है


काँटों से दामन उल्झाना मेरी आदत है,
दिल मे पराया दर्द बसना मेरी आदत है,
मेरा गला अगर कट जाए तो मुझ पर क्या इल्जाम,
हर कातिल को गले लगना मेरी आदत है,
जिन को दुनिया ने ठुकराया जिन से है सब दूर,
एसे लोगो को अपनाना मेरी आदत है,
सब की बातें सुन लेता हु में चुप चाप मगर,
अपने दिल की करते जन मेरी आदत है,

1 टिप्पणी »

  1. I Like Jagjit Singh

    टिप्पणी द्वारा Sunil — नवम्बर 16, 2007 @ 12:51 अपराह्न | प्रतिक्रिया


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