कुछ पल जगजीत सिंह के नाम

सितम्बर 22, 2007

प्यास की कैसे लाये ताब कोई


प्यास की कैसे लाये ताब कोई,
नही दरिया तो हो शराब कोई,
रात बजती थी दूर शहनाई,
रोया पीकर बहुत शराब कोई,
कौन सा जाम किसे बख्शा है,
उसका रखे कहा हिसाब कोई,
फिर मैं सुनने लगा हु इस दिल की,
आने वाला है फिर अजाब कोई,

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