हर एक घर में दीया भी जले अनाज भी हो,
अगर न हो कही ऐसा तो एहतराज़ भी हो,
हुकुमतो को बदलना तो कुछ मुहाल नही,
हकुमाते जो बदलता है वह समाज भी हो,
रहेगी कब तलक वादों में क़ैद खुशहाली,
हर एक बार ही कल क्यों कभी आज भी हो,
न करते शोर शराबा तो और क्या करते,
तुम्हारे शहर में कुछ और कम काज भी हो,